हाथों की लकीरों की पहचान खो गई। हाथों की लकीरों की पहचान खो गई।
ऐसा क्या लिख दूँ की मशहूर हो जाऊँ। अपने और अपनो के नजर में कोहिनूर हो जाऊँ। । ऐसा क्या लिख दूँ की मशहूर हो जाऊँ। अपने और अपनो के नजर में कोहिनूर हो जाऊँ। ...
शर्मा जी ने सबक ये सीखा, करो समझ बूझ कर भला किसी का। शर्मा जी ने सबक ये सीखा, करो समझ बूझ कर भला किसी का।
अभी क्या घड़ी होती है जब तुम मेरे पास खड़ी होती है। अभी क्या घड़ी होती है जब तुम मेरे पास खड़ी होती है।
मै आ गई हूं इक्कीसवीं सदी में, तुम्हारा दखल मेरे रहन सहन,पहनावे, शिक्षा, रीति रिवाज मै आ गई हूं इक्कीसवीं सदी में, तुम्हारा दखल मेरे रहन सहन,पहनावे, शिक्षा, ...
क्या तुम्हें मेरी कमी बिलकुल नहीं खलती है ! क्या तुम्हें मेरी कमी बिलकुल नहीं खलती है !